( Brahani Mata Temple: An unforgettable place in Dhauladhar ) ब्राहणी माता टेम्पल : धौलाधार का एक अविस्मरणीय स्थल

ब्राहणी माता टेम्पल ! मंदिर सुनते ही हमारे मस्तिष्क में एक धार्मिक स्थल की तस्वीर बनती है और बने भी क्यों न |  हिमाचल को देव भूमि भी कहा जाता है और मंदिर सुनते ही धार्मिक स्थल की तस्वीर बनना स्वभाविक भी है | हिमाचल के लाखों मंदिर इसे एक अति सुन्दर स्थान बना देते हैं, हिमाचल में तरह तरह के मंदिर हैं जो अपने अनोखे निर्माण, वास्तुकला, सुंदरता और भव्यता के लिए जाने जाते हैं |   ऐसा ही एक मंदिर है ब्राहणी माता मंदिर, हालांकि ये मंदिर निर्माण की दृष्टि से कोई बहुत बड़ा या भव्य मंदिर नहीं है लेकिन धौलाधार पर्वतो के ऊपर प्रकृति की गोद में इसका स्थान तथा स्थानीय लोगो में इस मंदिर की आस्था इसे एक अति विशिष्ट मंदिर बना देती है | पहाड़ की चोटी पर स्थित इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 8000 फुट है | 

Brahani Mata Temple

ब्राहणी माता मंदिर ब्राहणी गाँव से लगभग आधा  किलोमेटेर की दूरी पर है | ब्राहणी गाँव के नाम पर मंदिर का नाम ब्राहणी पड़ा या फिर ब्राहणी  माता के नाम पर गाँव का नाम ब्राहणी पड़ा ये तो  ठीक से कह पाना मुश्किल है | ब्राहणी एक छोटा सा गाँव है जहाँ पर गिनती के 8-10 घर दिखाई पड़ेंगे | गाँव में कदम रखते ही आपको एक ठेठ पहाड़ी गाँव की अनुभूति होगी | उत्तम पहाड़ी हवा, पहाड़ी मिटटी की महक, साफ़ मनोरम दृश्य, स्वच्छ वातावरण तथा गाँव के लोगो के चेहरों की मुस्कान जब गाँव में आपका स्वागत करेगी तो आप अवश्य ही प्रफुल्लित हो उठेंगे |   जितना सुन्दर ये गाँव है उतने ही मधुर यहाँ के लोग हैं जो की प्रकृति के साथ ताल मेल बिठा के रहने के मामले में सर्वोत्तम हैं |  गाँव के अधिकतर लोग अपने जीवन यापन के लिए प्रकृति पर निर्भर रहते हैं | खेती यहाँ के लोगो का मुख्य पेशा है, यहाँ के लोग गेहूं, मक्की, मटर, गोभी इत्यादि उगाते हैं | पशु पालन के मामले में भी ये गाँव अग्रणी है, गाँव के हर घर में आपको पशु मिल जाएंगे जिनमे विशेषतः गाय, बैल और भेड़  बकरी देखने को मिलेंगे | गाँव के आस पास और गाँव के रास्ते में में आपको बुरांस के फूल जो की हिमाचल का राज्य फूल भी है उसकी भरमार मिलेगी | यदि आप बुरांस के मौसम में यहाँ जाते हैं तो यकीनन आपकी यात्रा का मज़ा चार गुना हो जाएगा | बुरांस के फूलो की सुंदरता उनकी महक उनकी ताज़गी आपको आनंदित कर देगी आप खुद को प्रकृति की प्रशंसा करने से नहीं रोक पाओगे | बुरांस के फूल का रस  और बुरांस की चटनी स्वास्थ के लिए अति लाभदायक होती है | 

ब्राहणी गाँव
बुराँश के पेड़

ब्राहणी गाँव से ब्राहणी मंदिर तक का रास्ता खूब सारे मनोरम दृश्यों से भरा हुआ है | यदि आप भाग्यशाली हुए तो आपको यहाँ नाना प्रकार के वन्य जीवों के दर्शन हो जाएंगे जिनमे झूझुराना, मोनाल , छोटे हिरन, घोरल इत्यादि प्रमुख हैं | मंदिर में  पहुँचते ही जो दृश्य आपको देखने को मिलेंगे वो अवश्य ही आपका दिल छू  लेंगे | एक तरफ आपको नज़र आएंगे विशालकाय धौलाधार तथा दूसरी तरफ होगी जिला काँगड़ा की दूर दूर तक फैली खुली मैदानी घाटियां | विजिबिलिटी अगर ठीक हुई तो आपको यहीं से व्यास नदी के दर्शन हो जाएंगे जो की खुली घाटियों के बीच से गुज़रती हुई सांप सी प्रतीत होती है |  ब्राहणी मंदिर से विश्व प्रसिद्द पैराग्लाइडिंग साइट बिलिंग भी नज़र आती है |खुले नीले आसमान में बदलो के बीच उड़ते हुए रंग विरंगे पैराशूट किसी को भी आकर्षित कर लेते हैं | ब्राहणी मंदिर के ठीक सामने नज़र आती है हनुमानगढ़ की चोटी जो की बीर बिलिंग घाटी का सबसे ऊँचा स्थल है |   यहां से बैजनाथ तहसील के लगभग सभी रमणीय स्थान जैसे बीड़ मोनेस्ट्री, भट्टू मोनेस्ट्री,  गढ़ माता मंदिर, बैजनाथ मंदिर , उतराला , संसाल, दयोल आदि साफ़ नज़र आते हैं | 

धौलाधार और बुराँश का दृश्य

 

ब्राहणी मंदिर में हाल ही में एक नए मंदिर भवन का निर्माण हुआ है जो की प्रसिद्ध काठ कुणी शैली में बना हुआ है | पुराने मंदिर के बगल में ही नए मंदिर भवन का निर्माण हुआ है जिसने  इस स्थान की ख़ूबसूरती को चार चाँद लगा दिए हैं | ब्राहणी माता माँ  दुर्गा का ही एक रूप हैं | स्थानीय लोगो की मान्यता के अनुसार जो भी भक्त यहां सच्चे दिल से मनोकामना करता है माँ उसकी कामना अवश्य पूर्ण करती हैं | मनोकामना पूर्ति पर लोग यहाँ फिर से माँ के दर्शन करने आते हैं और माँ के मंदिर में श्रद्धा अनुसार भेंट अर्पित करते हैं | मंदिर परिसर के चारो और विभिन्न प्रजाति के वृक्ष पाए जाते हैं जो पूरा साल हरे भरे रहते हैं | मंदिर परिसर के आस पास बहुत से सुन्दर स्थल हैं जहाँ बैठ कर आप विश्राम कर सकते हैं और भोजन इत्यादि ग्रहण कर सकते हैं | आप यदि चाहें तो यहाँ पिकनिक भी  या फिर कैंपिंग भी कर सकते हैं | मंदिर में नल से जल की भी सुविधा है तो कैंपिंग करने में कठिनाई नहीं होगी | एक बात का ज़रूर ध्यान रखें कि यहाँ किसी भी प्रकार की गन्दगी न फैलाएँ | हमारे सुन्दर स्थलों का रख रखाव और उनकी सम्पूर्ण स्वछता रखना  हमारा परम कर्त्तव्य है |  

ब्राहणी मंदिर
ब्राहणी मंदिर

 

ब्राहणी माता ट्रेक यूं तो यहीं स्माप्त हो जाता है, यद्यपि आप इच्छुक हों तो मंदिर से आगे धौलधार श्रृंखलाओं के और भीतर जा सकते हैं | यहीं से बैजनाथ का मणिकर्ण कहे जाने वाले स्थान ततवानी के लिए भी रास्ता जाता है | ततवानी में एक गर्म पानी का चश्मा है जिसमे नहा के शरीर के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं | निर्जला काशी के दिन ततवानी में हर साल हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने आते हैं | ब्राहणी माता से ततवानी का रास्ता घने जंगलो के बीच से गुज़रता है और काफी जोखिम भरा है | इस रास्ते से ततवानी जाना काफी ज़ोखिम  भरा है इसलिए इच्छुक जन किसी स्थानीय गाइड की सहायता से ही  ततवानी जाएँ | अन्यथा आप ततवानी जाने के लिए अधिक प्रयोग किया जाने वाला रास्ता जो की दयोल होके  जाता है उसे ही चुनें |  

Tatwani

 

आपको ये जान कर अवश्य ही आश्चर्य होगा की इतनी सारी खूबियाँ होने के बावजूद तथा बैजनाथ और बीड़ के इतने पास होने के बाद भी ब्राहणी माता ट्रेक पर्यटको की दृष्टि से अभी  तक दूर है | ये स्थान इतना अछूता है की इसके बारे में आपको गूगल तक में कोई जानकारी नहीं मिलेगी या फिर आप यूट्यूब में खोज लीजिये आपको इस स्थान का कोई वीडियो नहीं मिलेगा |  ये स्थान सचमुच एक  अंडर एक्सप्लोर्ड और अंडर रेटेड स्थान है | बीड़ आने वाले अधिकतर पर्यटक बिलिंग राजगुंधा और अन्य आस पास के स्थलों को देख के ही वापस चले जाते हैं  और हिमाचल के इन अद्भुत स्थलों के दर्शन से वंचित रह जाते हैं | ब्राहणी माता ट्रेक उन लोगो के लिए सर्वोत्तम स्थल है जो भीड़ भाड़ से दूर किसी ऐसी जगह में समय व्यतीत करना चाहते हों जहाँ प्रकृति अपने चरम पर हो जहाँ कोई शोर न हो जहाँ किसी प्रकार की कोई व्याकुलता न हो जहाँ किसी तरह की कोई चिंता न हो जहाँ किसी प्रकार की कोई मिलावट न हो जहाँ कोई बनावटीपन न हो……और अगर हो तो बस खुली हवा साफ़ बातावरण नीला आसमान, हरे भरे बर्फीले मनोरम पहाड़  और कभी न समाप्त होने वाला सुकून | 

बुराँश के फूल

ब्राहणी कैसे पहुंचे ??


ब्राहणी जाने के दो रास्ते हैं | एक रास्ता है संसाल गाँव से, जिसमे आपको ब्राहणी माता मंदिर तक पैदल ही जाना होगा | संसाल से ब्राहणी माता मंदिर की दुरी है लगभग  4 -5 किलोमीटर |  दूसरा रास्ता है  धरेड़ गाँव से, इस रास्ते से आप कंडी गाँव तक गाडी या बाइक में आ सकते हैं , ध्यान रहे की धरेड़ से कंडी  तक का रास्ता लगभग २ किलोमीटर है और ये सड़क  मार्ग अभी तक कच्चा है , तो आप ऊँची गाडी ही लेके आएं | संसाल और धरेड़ का रास्ता कंडी गाँव में आके एक हो जाता है | जहाँ से आगे आपको ये रास्ता पैदल तय करना होगा | कंडी से ब्राहणी का रास्ता लगभग 3  किलोमीटर है |  कंडी से ब्राहणी गाँव तक पानी का कोई स्रोत नहीं है तो आप पानी कंडी  गाँव से ही लेके चलें | 


 संसाल :

बीड से संसाल की दूरी है ८-९ किलोमीटर और बैजनाथ से संसाल की दूरी है ५-६ किलोमीटर |   संसाल में भगवान् भोले नाथ का एक मंदिर है जिसे मुकुटनाथ के नाम से जाना जाता है | संसाल से होके यदि आप ब्राहणी माता ट्रैक पे जाएँ तो संसाल में रुक कर मुकुटनाथ मंदिर में दर्शन करना न भूलें | 


रेड़ :

बीड से धरेड़ की दूरी है १४ किलोमीटर्स  और बैजनाथ से धरेड़ की दूरी है ५ किलोमीटर्स | धरेड़ बैजनाथ दयोल मार्ग पर बसा एक गाँव है जिसकी तंग और खड़ी चढ़ाई वाली सड़क आपको हैरान जरुरु करेगी | 


कंडी :

कंडी ब्राहणी के रास्ते में बसा एक अत्यंत रमणीय गाँव है | इस गाँव ने पिछले कुछ सालो में आलू ,गोभी, मटर, पालक और फल जैसे आड़ू , नाशपाती,  बादाम , अमरुद , किवी इत्यादि की खेती के लिए अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है | कड़ी हाल ही तक एक ऐसा गाँव था जो किसी भी सड़क मार्ग से अछूता था | हाल ही में इस गाँव को सड़क मार्ग से जोड़ा गया है जिससे इस गाँव के लोगो को कई तरह के अवसर प्राप्त हुए हैं | अब यहाँ के लोग आसानी से अपने सामन को मंडियों तक पहुंचा सकते हैं | कंडी गाँव में कई सुन्दर स्थल हैं जहाँ आप कैंपिंग कर सकते हैं | 


Himachal
कंडी गाँव

अन्य आवश्यक जानकारी :

 

यदि आपने पूरा लेख पढ़ा होगा तो अब तक आपको अनुमान हो गया होगा की कंडी और ब्राहणी में कोई रुकने का स्थान नहीं है इसलिए यदि आप ब्राहणी या कन्डी मे रात गुज़ारना चाहते हैं तो आपको कैंपिंग का   सामान साथ में ले जाना  होगा |  ब्राहणी माता ट्रेक आप आसानी से एक दिन में पूरा कर सकते हैं इसलिए कैंपिंग करना या न करना ये निर्णय आप स्वयं ले सकते हैं | कंडी में कुछ दुकाने हैं जहाँ ज़रूरत का कुछ सामान आपको मिल जाएगा लेकिन मैं सुझाव दूंगा की आप अधिकतर सामान पहले से ही लेके चलें, क्यूंकि गाँव की दुकानों में कब कौन  सामान  समाप्त हो जाए कहा नहीं जा सकता | ब्राहणी माता ट्रेक एक आसान ट्रेक है जिसे सब उम्र के लोग आसानी से कर सकते हैं | इस ट्रेक की सबसे ख़ास बात है की इसे पूरा करने के लिए आपको हार्डकोर ट्रैकर होना आवश्यक नहीं है | वैसे तो इस ट्रेक में हर मौसम में अलग अलग तरह के नज़ारे मिलते हैं इसलिए इसे कभी भी किया जा सकता है लेकिन मैं इस ट्रेक पे फरबरी और मार्च के माह में जाना पसंद करता हूँ क्यूंकि इस समय ये ट्रेक बुरांस के फूलों  से लदा रहता है | सर्दियों में यहाँ बर्फ पड़ती है इसलिए यदि याप बर्फ देखने के शौक़ीन हैं तो आप दिसंबर और जनवरी  में भी यहाँ आ सकते हैं | अंत में  एक बार फिर आप सब से विनम्र प्रार्थना है कि जब भी आप इस ट्रैक पे जाएँ तो कृप्या इस स्थान की स्वछता को बनाये रखें | हमारे द्वारा पीछे छोड़ा हुआ कूड़ा करकट पहाड़ो की ख़ूबसूरती को नष्ट तो करता ही है साथ ही साथ वन्य जीवों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है |    

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